मंगलवार, अक्तूबर 19, 2004

प्रतीक्षा

मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी, प्रिय तुम आते तब क्या होता ?

मौन रात इस भाँति कि जैसे, को‌ई गत वीणा पर बज कर,
अभी-अभी सो‌ई खो‌ई-सी सपनों में तारों पर सिर धर
और दिशा‌ओं से प्रतिध्वनियाँ, जाग्रत सुधियों-सी आती हैं,
कान तुम्हारी तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता ?

तुमने कब दी बात रात के सूने में तुम आनेवाले,
पर ऐसे ही वक्त प्राण मन, मेरे हो उठते मतवाले,
साँसें घूम-घूम फिर - फिर से, असमंजस के क्षण गिनती हैं,
मिलने की घड़ियाँ तुम निश्चित, यदि कर जाते तब क्या होता ?

उत्सुकता की अकुलाहट में, मैंने पलक पाँवड़े डाले,
अम्बर तो मशहूर कि सब दिन, रहता अपना होश सम्हाले,
तारों की महफ़िल ने अपनी आँख बिछा दी किस आशा से,
मेरे मौन कुटी को आते तुम दिख जाते तब क्या होता ?

बैठ कल्पना करता हूँ, पगचाप तुम्हारी मग से आती
रग-रग में चेतनता घुलकर, आँसु के कण-सी झर जाती,
नमक डली-सा गल अपनापन, सागर में घुलमिल-सा जाता,
अपनी बाहों में भरकर प्रिय, कण्ठ लगाते तब क्या होता ?

- हरिवंशराय बच्चन

4 टिप्पणियाँ:

12:05 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

Birthday Gifts

 
2:18 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

You can Send Birthday Gifts to India Online for your loved ones staying in India and suprise them !

 
2:45 am पर, Blogger Rossie ने कहा ...

Online Gifts for Him for your loved ones staying in India and suprise them !

 
7:45 am पर, Blogger shekhar ने कहा ...

Send Gifts to India Online from Gift Shop | Order Online Gifts Delivery in India

 

टिप्पणी करें

<< मुखपृष्ट

गुरुवार, अक्तूबर 14, 2004

तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना

कम्पित कम्पित,
पुलकित पुलकित,
परछा‌ईं मेरी से चित्रित,
रहने दो रज का मंजु मुकुर,
इस बिन श्रृंगार-सदन सूना !
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना ।

सपने औ' स्मित,
जिसमें अंकित,
सुख दुख के डोरों से निर्मित;
अपनेपन की अवगुणठन बिन
मेरा अपलक आनन सूना !
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना ।

जिनका चुम्बन
चौंकाता मन,
बेसुधपन में भरता जीवन,
भूलों के सूलों बिन नूतन,
उर का कुसुमित उपवन सूना !
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना ।

दृग-पुलिनों पर
हिम से मृदुतर ,
करूणा की लहरों में बह कर,
जो आ जाते मोती, उन बिन,
नवनिधियोंमय जीवन सूना !
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना ।

जिसका रोदन,
जिसकी किलकन,
मुखरित कर देते सूनापन,
इन मिलन-विरह-शिशु‌ओं के बिन
विस्तृत जग का आँगन सूना !
तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना ।

- महादेवी वर्मा

2 टिप्पणियाँ:

8:35 pm पर, Blogger Emily Katie ने कहा ...

Gift Online India

 
2:46 am पर, Blogger Rossie ने कहा ...

Gifts for Him Online for your loved ones staying in India and suprise them !

 

टिप्पणी करें

<< मुखपृष्ट

बुधवार, अक्तूबर 13, 2004

प्राप्ति

तुम्हें खोजता था मैं,
पा नहीं सका,
हवा बन बहीं तुम, जब
मैं थका, रुका ।

मुझे भर लिया तुमने गोद में,
कितने चुम्बन दिये,
मेरे मानव-मनोविनोद में
नैसर्गिकता लिये;

सूखे श्रम-सीकर वे
छबि के निर्झर झरे नयनों से,
शक्त शिरा‌एँ हु‌ईं रक्त-वाह ले,
मिलीं - तुम मिलीं, अन्तर कह उठा
जब थका, रुका ।

- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

2 टिप्पणियाँ:

8:36 pm पर, Blogger Emily Katie ने कहा ...

Best Online Gift Sites

 
2:47 am पर, Blogger Rossie ने कहा ...

Gifts for Him Online for your loved ones staying in India and suprise them !

 

टिप्पणी करें

<< मुखपृष्ट

सोमवार, अक्तूबर 11, 2004

देखो-सोचो-समझो

देखो, सोचो, समझो, सुनो, गुनो औ' जानो
इसको, उसको, सम्भव हो निज को पहचानो
लेकिन अपना चेहरा जैसा है रहने दो,
जीवन की धारा में अपने को बहने दो

तुम जो कुछ हो वही रहोगे, मेरी मानो ।

वैसे तुम चेतन हो, तुम प्रबुद्ध ज्ञानी हो
तुम समर्थ, तुम कर्ता, अतिशय अभिमानी हो
लेकिन अचरज इतना, तुम कितने भोले हो
ऊपर से ठोस दिखो, अन्दर से पोले हो

बन कर मिट जाने की एक तुम कहानी हो ।

पल में रो देते हो, पल में हँस पड़ते हो,
अपने में रमकर तुम अपने से लड़ते हो
पर यह सब तुम करते - इस पर मुझको शक है,
दर्शन, मीमांसा - यह फुरसत की बकझक है,

जमने की कोशिश में रोज़ तुम उखड़ते हो ।

थोड़ी-सी घुटन और थोड़ी रंगीनी में,
चुटकी भर मिरचे में, मुट्ठी भर चीनी में,
ज़िन्दगी तुम्हारी सीमित है, इतना सच है,
इससे जो कुछ ज्यादा, वह सब तो लालच है

दोस्त उम्र कटने दो इस तमाशबीनी में ।

धोखा है प्रेम-बैर, इसको तुम मत ठानो
कडु‌आ या मीठा ,रस तो है छक कर छानो,
चलने का अन्त नहीं, दिशा-ज्ञान कच्चा है
भ्रमने का मारग ही सीधा है, सच्चा है

जब-जब थक कर उलझो, तब-तब लम्बी तानो ।

- भगवतीचरण वर्मा

3 टिप्पणियाँ:

8:37 pm पर, Blogger Emily Katie ने कहा ...

Gift Online

 
2:47 am पर, Blogger Rossie ने कहा ...

Order Cake Online for your loved ones staying in India and suprise them !

 
3:01 am पर, Blogger Rossie ने कहा ...

Birthday Gifts for your loved ones staying in India and suprise them !

 

टिप्पणी करें

<< मुखपृष्ट

रविवार, अक्तूबर 10, 2004

चुम्बन

लहर रही शशिकिरण चूम निर्मल यमुनाजल,
चूम सरित की सलिल राशि खिल रहे कुमुद दल

कुमुदों के स्मिति-मन्द खुले वे अधर चूम कर,
बही वायु स्वछन्द, सकल पथ घूम घूम कर

है चूम रही इस रात को वही तुम्हारे मधु अधर
जिनमें हैं भाव भरे हु‌ए सकल-शोक-सन्तापहर !

- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

4 टिप्पणियाँ:

6:46 am पर, Blogger samar ने कहा ...

SUNDAR, ATISUNDAR !!

 
6:46 am पर, Blogger samar ने कहा ...

SUNDAR, ATISUNDAR !!

 
6:46 am पर, Blogger samar ने कहा ...

SUNDAR, ATISUNDAR !!

 
8:37 pm पर, Blogger Emily Katie ने कहा ...

Order Gift Online

 

टिप्पणी करें

<< मुखपृष्ट

शनिवार, अक्तूबर 02, 2004

तुम हमारे हो

नहीं मालूम क्यों यहाँ आया
ठोकरें खाते हु‌ए दिन बीते ।
उठा तो पर न सँभलने पाया
गिरा व रह गया आँसू पीते ।

ताब बेताब हु‌ई हठ भी हटी
नाम अभिमान का भी छोड़ दिया ।
देखा तो थी माया की डोर कटी
सुना व' कहते हैं, हाँ खूब किया ।

पर अहो पास छोड़ आते ही
वह सब भूत फिर सवार हु‌ए ।
मुझे गफलत में ज़रा पाते ही
फिर वही पहले के से वार हु‌ए ।

एक भी हाथ सँभाला न गया
और कमज़ोरों का बस क्या है ।
कहा - निर्दय, कहाँ है तेरी दया,
मुझे दुख देने में जस क्या है ।

रात को सोते य' सपना देखा
कि व' कहते हैं "तुम हमारे हो
भला अब तो मुझे अपना देखा,
कौन कहता है कि तुम हारे हो ।

अब अगर को‌ई भी सताये तुम्हें
तो मेरी याद वहीं कर लेना
नज़र क्यों काल ही न आये तुम्हें
प्रेम के भाव तुर्त भर लेना" ।

- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

3 टिप्पणियाँ:

8:38 pm पर, Blogger Emily Katie ने कहा ...

Online Cakes Delivery

 
2:33 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

You can Gifts to India for your loved ones staying in India and suprise them !

 
2:58 am पर, Blogger Rossie ने कहा ...

Send Cakes to India Online for your loved ones staying in India and suprise them !

 

टिप्पणी करें

<< मुखपृष्ट

उत्तर

इस एक बूँद आँसू में
चाहे साम्राज्य बहा दो
वरदानों की वर्षा से
यह सूनापन बिखरा दो

इच्छा‌ओं की कम्पन से
सोता एकान्त जगा दो,
आशा की मुस्कराहट पर
मेरा नैराश्य लुटा दो ।

चाहे जर्जर तारों में
अपना मानस उलझा दो,
इन पलकों के प्यालो में
सुख का आसव छलका दो

मेरे बिखरे प्राणों में
सारी करुणा ढुलका दो,
मेरी छोटी सीमा में
अपना अस्तित्व मिटा दो !

पर शेष नहीं होगी यह
मेरे प्राणों की क्रीड़ा,
तुमको पीड़ा में ढूँढा
तुम में ढूँढूँगी पीड़ा !

- महादेवी वर्मा

1 टिप्पणियाँ:

2:50 am पर, Blogger Rossie ने कहा ...

Online Cakes Delivery for your loved ones staying in India and suprise them !

 

टिप्पणी करें

<< मुखपृष्ट