शनिवार, सितंबर 16, 2006

तुम तूफान समझ पाओगे ?

तुम तूफान समझ पाओगे ?

गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता 'हरहर'--इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे ?

गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे ?

तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ,
जाता है अज्ञात दिशा को ! हटो विहंगम, उड़ जाओगे !
तुम तूफान समझ पाओगे ?

- हरिवंशराय बच्चन

12 टिप्पणियाँ:

8:00 am पर, Blogger sujata ने कहा ...

tufan kavita ne aaj mujhe udvelit kar diya.

 
5:50 am पर, Blogger अस्वीकृत ने कहा ...

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

 
5:53 am पर, Blogger अस्वीकृत ने कहा ...

भारत के उत्कृष्टतम कवियों में से एक

 
2:32 am पर, Blogger Unknown ने कहा ...

very nice

 
5:19 am पर, Blogger Shekharlive ने कहा ...

http://payloog.com/?invite=440212

 
3:30 am पर, Blogger negi ने कहा ...

English sikhe free mei.improve your english onine
http://www.kidsfront.com/

 
10:53 am पर, Blogger Unknown ने कहा ...

वाह वाह तूफ़ान
बच्चन साहब हमारे वरिष्ठ प्रेरणा स्त्रोत है।।
साहब बहुत बहुत खुश्नाशीब है और आपके आभारी भी की आपकी इतनी खूबशूरत कविता पढने का अवसर पाया।।

Blogger : Nilesh Kumar Goud

hindipoetry2.blogspot.com

 
3:35 am पर, Anonymous Floranet ने कहा ...

Interesting Piece of work. Thanks!

 
10:03 pm पर, Blogger kavita ने कहा ...

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

 
10:06 pm पर, Blogger kavita ने कहा ...

bahut hi achi kavita harivansh ji ki tufan.

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3:06 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

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1:51 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

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