तुम तूफान समझ पाओगे ?
तुम तूफान समझ पाओगे ?
गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता 'हरहर'--इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे ?
गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे ?
तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ,
जाता है अज्ञात दिशा को ! हटो विहंगम, उड़ जाओगे !
तुम तूफान समझ पाओगे ?
- हरिवंशराय बच्चन
12 टिप्पणियाँ:
tufan kavita ne aaj mujhe udvelit kar diya.
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भारत के उत्कृष्टतम कवियों में से एक
very nice
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English sikhe free mei.improve your english onine
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वाह वाह तूफ़ान
बच्चन साहब हमारे वरिष्ठ प्रेरणा स्त्रोत है।।
साहब बहुत बहुत खुश्नाशीब है और आपके आभारी भी की आपकी इतनी खूबशूरत कविता पढने का अवसर पाया।।
Blogger : Nilesh Kumar Goud
hindipoetry2.blogspot.com
Interesting Piece of work. Thanks!
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bahut hi achi kavita harivansh ji ki tufan.
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