शनिवार, फ़रवरी 19, 2005

श्यामनन्दन किशोर

श्यामनन्दन किशोर जी की कविता सागर पर प्रेषित हुई रचनाएँ :

मैं मधुर भी, तिक्त भी हूँ
अन्तरंग
कहीं गरजे कहीं बरसे
चीख उठा भगवान
कफन फाड़कर मुर्दा बोला

1 टिप्पणियाँ:

2:33 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

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