बुधवार, जून 23, 2004

कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें

कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें ।

जीवन-सरिता की लहर-लहर,
मिटने को बनती यहाँ प्रिये
संयोग क्षणिक, फिर क्या जाने
हम कहाँ और तुम कहाँ प्रिये ।

पल-भर तो साथ-साथ बह लें,
कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें ।

आओ कुछ ले लें औ' दे लें ।

हम हैं अजान पथ के राही,
चलना जीवन का सार प्रिये
पर दुःसह है, अति दुःसह है
एकाकीपन का भार प्रिये ।

पल-भर हम-तुम मिल हँस-खेलें,
आओ कुछ ले लें औ' दे लें ।

हम-तुम अपने में लय कर लें ।

उल्लास और सुख की निधियाँ,
बस इतना इनका मोल प्रिये
करुणा की कुछ नन्हीं बूँदें
कुछ मृदुल प्यार के बोल प्रिये ।

सौरभ से अपना उर भर लें,
हम तुम अपने में लय कर लें ।

हम-तुम जी-भर खुलकर मिल लें ।

जग के उपवन की यह मधु-श्री,
सुषमा का सरस वसन्त प्रिये
दो साँसों में बस जाय और
ये साँसें बनें अनन्त प्रिये ।

मुरझाना है आओ खिल लें,
हम-तुम जी-भर खुलकर मिल लें ।

- भगवतीचरण वर्मा

8 टिप्पणियाँ:

1:31 am पर, Blogger लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " ने कहा ...

bahut sundar rachana hai man ko bhaa gai aapko hardik subhakaamnayen .....

 
1:40 am पर, Blogger लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " ने कहा ...

कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें । AADARNIY BHAGVATICHARAN JI KI KAVITA MAN KO CHHU GAI ......

 
1:43 am पर, Blogger लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " ने कहा ...

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

 
9:23 pm पर, Blogger सुनीता ने कहा ...

बीहुत खूब।

 
9:25 pm पर, Blogger सुनीता ने कहा ...

Very nice

 
6:24 am पर, Blogger Rahul Solanki ने कहा ...

अगर देखा जाये तो कवी आज के जीवन का मुख्या आधार स्तम्भ है जब जब इस देश की राजनीति गलत राह की और आगे बदती है तब तब कविताओ के माद्यम से उसे सही रास्ते पर लाया गया है | Talented India News App

 
2:26 am पर, Blogger Rossie ने कहा ...

Gift Online for your loved ones staying in India and suprise them !

 
2:40 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

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