तपते दिन की अगन
बुझ गयी तपते हुए दिन की अगन
सांझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आयी पहन उजला वसन
'प्राण' तुम क्यूँ मौन हो, कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल चुन लो मुस्कुराओ ।
एक नीली झील सा फैला अचल
आज ये आकाश है कितना सजल
चांद जैसे डूबता उभरा कंवल
रात भर इस रूप का जादू जगाओ
'प्राण' तुम क्यूँ मौन हो, कुछ गुनगुनाओ ।
चल रहा है चैत का चंचल का पवन
बाँध लो बिख्ररे हुए कुंतल सघन
पोंछ लो कजरा उदासीले नयन
मांग भर लो, भाल पर बिंदिया सजाओ
'प्राण' तुम क्यूँ मौन हो, कुछ गुनगुनाओ ।
- पं. विनोद शर्मा
2 टिप्पणियाँ:
Send Gifts to India for your loved ones staying in India and suprise them !
Teddy Day Gifts
Valentine Gifts
Valentine Day Cakes
Cakes for Valentines Day
Roses for Valentines Day
टिप्पणी करें
<< मुखपृष्ट