शुक्रवार, जून 04, 2004

जो तुम आ जाते

जो तुम आ जाते एक बार ।

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार ।

हंस उठते पल में आद्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार ।

- महादेवी वर्मा

5 टिप्पणियाँ:

4:48 pm पर, Anonymous बेनामी ने कहा ...

भैया मुनीश,

बहुत सुन्दर...

धन्यवाद..

 
5:04 am पर, Anonymous बेनामी ने कहा ...

bahut sundar rachna hai,

 
9:22 am पर, Blogger Ash ने कहा ...

mahadeviji ne is kavita se na kewal apne jivan balki ek bhartiya nari ke jiwan ke vishad ka chitran kiya hai.

 
5:38 am पर, Anonymous LAXMI NARAYAN LAHRE KOSIR ने कहा ...

BAHUT HI SUNDAR KAVITA HAI JO TUM AA JATE .......

 
2:50 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

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