जो तुम आ जाते
जो तुम आ जाते एक बार ।
कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार ।
हंस उठते पल में आद्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार ।
- महादेवी वर्मा
5 टिप्पणियाँ:
भैया मुनीश,
बहुत सुन्दर...
धन्यवाद..
bahut sundar rachna hai,
mahadeviji ne is kavita se na kewal apne jivan balki ek bhartiya nari ke jiwan ke vishad ka chitran kiya hai.
BAHUT HI SUNDAR KAVITA HAI JO TUM AA JATE .......
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