मंगलवार, अगस्त 17, 2004

देखिये न मेरी कारगुज़ारी

अब देखिये न मेरी कारगुज़ारी
कि मैं मँगनी के घोड़े पर
सवारी पर
ठाकुर साहब के लिए उन की रियाया से लगान
और सेठ साहब के लिए पंसार-हट्टे की हर दुकान
से किराया
वसूल कर लाया हूँ ।
थैली वाले को थैली
तोड़े वाले को तोड़ा
-और घोड़े वाले को घोड़ा
सब को सब का लौटा दिया
अब मेरे पास यह घमंड है
कि सारा समाज मेरा एहसानमन्द है ।

- अज्ञेय

2 टिप्पणियाँ:

2:11 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

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2:21 am पर, Blogger Rossie ने कहा ...

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