जो बीत गई
जो बीत गई सो बात गई !
जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया;
अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है !
जो बीत गई सो बात गई !
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुवन की छाती को देखो,
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं;
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है;
जो बीत गई सो बात गई !
जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन-मन दे डाला था,
वह टूट गया तो टूट गया;
मदिरालय का आँगन देखो,
कितने प्याले हिल जाते हैं,
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं,
जो गिरते हैं कब उठते हैं;
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है !
जो बीत गई सो बात गई !
मृदु मिट्टी के हैं बने हुए,
मधुघट फूटा ही करते हैं,
लघु जीवन लेकर आए हैं,
प्याले टूटा ही करते हैं,
फिर भी मदिरालय के अंदर
मधु के घट हैं, मधुप्याले हैं,
जो मादकता के मारे हैं,
वे मधु लूटा ही करते हैं;
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट-प्यालों पर,
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है, चिल्लाता है !
जो बीत गई सो बात गई !
- हरिवंशराय बच्चन
6 टिप्पणियाँ:
वाह !!
मज़ा आ गया ।
वाह आपकी कवित पध कर मज़्ज़ा आ जाता है . ऐसा मलुम होता है कि आपकी प्रेरना आपकी बिवी है.
उन्हे बहुत प्यर किजिये
पहले तो बहूत शुक्रीया की आपने इस कविता को अपने कविता सागर मे संग्रहित किया,जरुर आपका सागर और भी अधिक गहरा हूआ होगा…इसी तरह अपना सागर छ्लकाते रहें ताकी हम जैसे कवी प्रेमीयों की प्यास भुजती रहें...मेरी तरफ़ से आपको नए साल और भविष्य की बहुत सारी
शुभकामनाएँ... -:))
बहुत बाड़िया, दिल के तरो को छू गयी ये कविता.
धन्यवाद
राजेंदर
http://rajenderblog.blogspot.com
DIL SE DHANAYAD
esa jeewan jeni bale kabhee dukhe nahi hote sachcha aanand jeewan ko ise trha jeene mi hni
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