शुक्रवार, दिसंबर 31, 2004

नव वर्ष

नव वर्ष
हर्ष नव
जीवन उत्कर्ष नव ।

नव उमंग,
नव तरंग,
जीवन का नव प्रसंग ।

नवल चाह,
नवल राह,
जीवन का नव प्रवाह ।

गीत नवल,
प्रीति नवल,
जीवन की रीति नवल,
जीवन की नीति नवल,
जीवन की जीत नवल !

- हरिवंशराय बच्चन

5 टिप्पणियाँ:

2:31 pm पर, Blogger Kalicharan ने कहा ...

yeh un kativaon main se hai, jisse padhne baar baar aana padta hai. Dhanyaad shabdon ke motiyon ke is naulakkhe ko aapke pathako ko dikhane ke liye.

 
11:10 am पर, Blogger Unknown ने कहा ...

अविषेक बच्‍चन के विवाह के निमंत्रण पत्र देखने के बाद, बहुत दिनों से से इस सुन्‍दर कविता को ढूँढ रहा था। आज मुझे यह कविता मिल गई। ऐसे भी, मुझे हिन्‍दी भाषा और उसका साहित्‍य बहुत अच्‍छा लगता है।
तुषार मुखर्जी।
असम, भारत।

 
5:18 am पर, Blogger लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " ने कहा ...

bahut pyara kavita hai hardik badhai .....

 
8:39 pm पर, Blogger Emily Katie ने कहा ...

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2:35 am पर, Blogger Daisy ने कहा ...

You can Birthday Gifts for your loved ones staying in India and suprise them !

 

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